प्रौद्योगिकी और शिक्षा का समन्वय: एक क्रांतिकारी प्रयास, NEP 2020 ने शिक्षा को नए दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा दी है। इसमें कहा गया है कि प्रत्येक बच्चे का सीखने का अनुभव आनंददायक होना चाहिए। इस संदर्भ में EdTech, AI, डिजिटल लर्निंग, वर्चुअल लैब्स, और ब्लेंडेड लर्निंग जैसी अवधारणाओं का महत्व बढ़ जाता है।
वास्तविक पहलें क्या हैं?
भारत सरकार ने NEP के कार्यान्वयन के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
- DIKSHA (Digital Infrastructure for Knowledge Sharing): सरकारी और निजी शैक्षणिक संस्थान यहां अपने डिजिटल कंटेंट अपलोड कर सकते हैं।
- PM eVidya: ग्रामीण छात्रों के लिए टेलीविजन के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की एक पहल।
- NISHTHA (National Initiative for School Heads’ and Teachers’ Holistic Advancement): शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम जिसमें प्रौद्योगिकी के उपयोग के पहलू शामिल हैं।
- SWAYAM & SWAYAM PRABHA: ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्लेटफ़ॉर्म, जिसने उच्च शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग को सरल बनाया है।
प्रौद्योगिकी की वास्तविक स्थिति: शहर बनाम गांव
शहरी छात्रों को डिजिटल टूल्स, हाई-स्पीड इंटरनेट, स्मार्टफोन और लैपटॉप की सुविधा मिल रही है। लेकिन भारत की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां आज भी इंटरनेट की पहुंच और डिजिटल साक्षरता बड़ी बाधाएं हैं।
2023 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि भारत के 60% छात्र अभी भी नियमित रूप से डिजिटल शैक्षिक सामग्री का उपयोग नहीं कर सकते। इससे स्पष्ट है कि प्रौद्योगिकी के लाभ वास्तव में सभी तक नहीं पहुंचे हैं।
शिक्षकों की प्रौद्योगिकी ज्ञान: एक बड़ी चुनौती
केवल छात्र ही नहीं, कई शिक्षक भी अभी तक डिजिटल टूल्स के उपयोग में सहज नहीं हैं। हालांकि NISHTHA के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है, लेकिन यह सभी शिक्षकों को शामिल नहीं कर रहा है। प्रौद्योगिकी के लाभ प्राप्त करने के लिए केवल छात्रों को ही नहीं, शिक्षकों को भी डिजिटल रूप से सक्षम होना होगा।
मानवीय दृष्टिकोण से विचार करें…
प्रौद्योगिकी कभी भी शिक्षक का विकल्प नहीं हो सकती। शिक्षक प्रेरणा के स्रोत होते हैं। हालांकि, जब एक शिक्षक प्रौद्योगिकी को सहायक के रूप में उपयोग करते हैं, तभी शिक्षण आनंददायक, प्रभावी और जीवंत होता है। डिजिटल ब्लैकबोर्ड, 3D एनीमेशन, या कृत्रिम बुद्धिमत्ता—यदि सही दिशा में उपयोग किया जाए, तो सीखने के प्रति प्रेम बढ़ता है और एकरसता कम होती है।
भविष्य की दृष्टि से मूल्यांकन
NEP में कहा गया है कि आने वाले दिनों में शिक्षा प्रणाली का केंद्र बिंदु होगा ‘क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलैबोरेशन और कम्युनिकेशन’। इनका विकास करने के लिए केवल पुस्तकों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा—वास्तविक अनुभव और प्रौद्योगिकी-आधारित शिक्षा वातावरण की आवश्यकता होगी।
प्रौद्योगिकी का सफल उपयोग कैसे होना चाहिए?
- ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- शिक्षकों को नियमित डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान करना
- स्थानीय भाषाओं में शैक्षिक सामग्री तैयार करना
- बच्चों के लिए उपयोगकर्ता-अनुकूल लर्निंग ऐप्स विकसित करना
- शैक्षिक खेल और इंटरैक्टिव क्विज़ को शामिल करना
निष्कर्ष
भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रौद्योगिकी का उपयोग निस्संदेह एक साहसिक कदम है। यह शिक्षा प्रणाली के भविष्य को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। लेकिन इसे सफल बनाने के लिए नीति को वास्तविकता में बदलना होगा—केवल शहरों में ही नहीं, बल्कि दूरदराज के गांवों में भी। सभी के लिए समान डिजिटल अवसर प्रदान करना ही NEP की वास्तविक सफलता होगी।
इस यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण है “प्रौद्योगिकी को मानवता का साथी मानना”। क्योंकि प्रौद्योगिकी तभी सफल होती है, जब वह लोगों को छू सके।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) में प्रौद्योगिकी उपयोग का मुख्य उद्देश्य क्या है?
NEP 2020 में प्रौद्योगिकी उपयोग का मुख्य उद्देश्य शिक्षा में समानता, आधुनिकता और डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करना है। इसके माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों के छात्र भी उन्नत शिक्षा के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौन-कौन सी प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है?
NEP 2020 के अनुसार, डिजिटल लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म (जैसे DIKSHA, SWAYAM), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), वर्चुअल रियलिटी (VR), और ब्लेंडेड लर्निंग प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है।